Kedarnath Helicopter Crash: श्रद्धालुओं की यात्रा बनी मातम, 7 की दर्दनाक मौत | जानिए पूरी घटना की डिटेल

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Kedarnath Helicopter Crash हादसा

Kedarnath Helicopter Crash हादसा: आस्था की उड़ान, दुख का मंजर

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में रविवार (15 जून 2025) की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने चारधाम यात्रा की रफ्तार को अचानक थाम दिया। श्रद्धालुओं को लेकर केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहा एक हेलिकॉप्टर गौरीकुंड के पास क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक मासूम शिशु भी शामिल था।

हादसे का समय और स्थान

हेलिकॉप्टर ने सुबह करीब 5:24 बजे केदारनाथ से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन थोड़ी ही देर में यह गौरीकुंड के पास ‘गौरी माई खर्क’ जंगल क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मौसम विभाग ने पहले से ही खराब मौसम की चेतावनी दी थी, इसके बावजूद हेलिकॉप्टर को उड़ान की अनुमति दी गई, जिसे लेकर प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

हादसे में कौन-कौन मारे गए?

हेलिकॉप्टर में कुल 7 लोग सवार थे:

  • 1 पायलट
  • 5 वयस्क यात्री
  • 1 शिशु (23 महीने का बच्चा)

यात्रियों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के तीर्थयात्री शामिल थे।

हादसे की शुरुआती जानकारी किसने दी?

हादसे की सूचना सबसे पहले गौरीकुंड के ऊपर घास काट रही नेपाली मूल की महिलाओं ने दी। उन्होंने देखा कि जंगल के ऊपर कुछ गिरा और धुआं उठ रहा है। तुरंत उन्होंने प्रशासन को सूचना दी। इसके बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस बल और स्थानीय लोग घटनास्थल पर रेस्क्यू कार्य के लिए पहुंचे।

खराब मौसम बना हादसे की वजह

रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार और हेलिकॉप्टर सेवा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे के अनुसार, हेलिकॉप्टर ने घाटी से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन मौसम अचानक बिगड़ गया और दृश्यता बहुत कम हो गई। इसी दौरान हेलिकॉप्टर नियंत्रण खो बैठा और क्रैश हो गया।

किस कंपनी का था हेलिकॉप्टर?

दुर्घटनाग्रस्त हेलिकॉप्टर आर्यन एविएशन कंपनी का था, जो केदारनाथ-गुप्तकाशी रूट पर यात्रियों की आवाजाही के लिए सेवा दे रही थी।

राहत और बचाव कार्य

घटना की जानकारी मिलते ही:

  • एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तुरंत रवाना हुईं
  • स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने क्षेत्र को सील किया
  • रेस्क्यू अभियान चलाया गया, जिसमें सभी शव बरामद कर लिए गए हैं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:

“जनपद रुद्रप्रयाग में हेलिकॉप्टर दुर्घटना की अत्यंत दुखद खबर मिली है। एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और अन्य रेस्क्यू दल राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। मैं बाबा केदार से सभी यात्रियों की सुरक्षा की प्रार्थना करता हूं।”

उन्होंने साथ ही हेलिकॉप्टर सेवाओं को अगले आदेश तक रोकने का आदेश दिया है और उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं।

हेलिकॉप्टर हादसों की बढ़ती संख्या

केवल मई से जून 2025 के बीच उत्तराखंड में यह चौथा हेलिकॉप्टर हादसा है:

  • 8 मई: गंगोत्री के पास हेलिकॉप्टर क्रैश, 6 मौतें
  • 17 मई: केदारनाथ में एयर एंबुलेंस लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त
  • 7 जून: रुद्रप्रयाग में हेलिकॉप्टर की सड़क पर इमरजेंसी लैंडिंग
  • 15 जून: केदारनाथ से गुप्तकाशी जाते समय हादसा, 7 मौतें

यह सिलसिला राज्य की एविएशन नीति, मौसम व्यवस्था और उड़ान अनुमति प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।

क्या कहता है यूसीएडीए (UCADA)?

उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (UCADA) ने बयान जारी करते हुए कहा:

“आज सुबह करीब 5:20 बजे श्री केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी जा रहा हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। सभी सवार यात्रियों की मौत की खबर है। हादसे की जांच की जा रही है।”

स्थानीय लोगों का सहयोग

स्थानीय ग्रामीणों और नेपाली मूल की महिलाओं ने जहां सूचना देकर साहसिक कार्य किया, वहीं रेस्क्यू में भी उन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। खराब मौसम और दुर्गम इलाके के बावजूद, कई गांववाले बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के राहत कार्य में प्रशासन के साथ जुड़े रहे।

क्या अब हेलिकॉप्टर सेवाएं होंगी सुरक्षित?

लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं के बाद विशेषज्ञों की राय है कि:

  • उड़ान से पहले मौसम की 100% स्पष्टता और पूर्वानुमान
  • पायलटों का हाई-एल्टीट्यूड ऑपरेशन में विशेष प्रशिक्षण
  • हेलिकॉप्टर सेवाओं की फ्रिक्वेंट टेक्निकल चेकिंग
  • एविएशन पॉलिसी का सख्त पालन अनिवार्य होना चाहिए

आस्था से विश्वास तक

चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, एक आस्था और विश्वास की प्रतीक है। लेकिन बार-बार हो रही इन घटनाओं से श्रद्धालु भयभीत हैं। सरकार को तुरंत कड़े कदम उठाकर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

निष्कर्ष

Kedarnath Helicopter Crash हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता है, बल्कि यह हमारी व्यवस्थागत खामियों की भी पोल खोलता है। श्रद्धालुओं की जान की कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। एक बार फिर यह साबित हुआ है कि प्रकृति की अनदेखी और प्रणालीगत चूक हमेशा भारी पड़ती है। उम्मीद है कि इस हादसे के बाद राज्य सरकार और एविएशन अथॉरिटी सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ आगे के निर्णय लेंगी।

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