Kuberaa मूवी रिव्यू: धनुष और नागार्जुन की दमदार अभिनय की जुगलबंदी

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Kuberaa मूवी रिव्यू: पैसा, पावर और एक भिखारी की क्रांति

“Kuberaa” सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि वर्गभेद और सत्ता की ताकत पर एक तीखा और साहसी कमेंट है। निर्देशक शेखर कम्मुला ने इस क्राइम थ्रिलर के ज़रिए बेहद सीमित पात्रों के साथ गहराई से भरी कहानी प्रस्तुत की है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है।

Kuberaa कहानी का सार

फिल्म की कहानी एक भ्रष्ट व्यवस्था के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें दीपक (नागार्जुन) नाम का पूर्व CBI अफसर एक विशाल घोटाले की योजना बनाता है। इस मिशन में वह गरीबों, खासकर भिखारियों को शामिल करता है। इसी दौरान कहानी में आता है देवा (धनुष) – एक ऐसा भिखारी जो सिस्टम के खिलाफ खड़ा होता है।

कहानी धीरे-धीरे एक रोचक मोड़ लेती है जब नीरज (जिम सर्भ) नामक शक्तिशाली बिजनेसमैन बंगाल की खाड़ी में पाए गए तेल भंडार पर कब्जा जमाने के लिए 1 लाख करोड़ की रिश्वत योजना बनाता है। दीपक उसका साथ देता है, लेकिन देवा की एंट्री सब कुछ बदल देती है।

एक्टिंग की बात करें तो

नागार्जुन – संयमित और प्रभावशाली

नागार्जुन ने इस किरदार को बेहद नियंत्रित और परिपक्व अंदाज़ में निभाया है। उनकी आंखें, बॉडी लैंग्वेज और धीमी संवाद अदायगी – सब कुछ उनके अनुभव को दर्शाती है। यह रोल उनके करियर के लिए ताजगी और सम्मान दोनों लेकर आया है।

धनुष – एक मास्टरक्लास परफॉर्मेंस

धनुष ने एक भिखारी के रोल में जान डाल दी है। उनके छोटे-छोटे हाव-भाव, खासकर हाथों की हरकतें, एक फिजिकल लिमिटेशन को दर्शाती हैं और उनकी परफॉर्मेंस को असाधारण बना देती हैं। यह भूमिका इस बात का प्रमाण है कि धनुष क्यों अपने दौर के सबसे उम्दा अभिनेता माने जाते हैं।

रश्मिका मंदाना – सीमित लेकिन सधी हुई

रश्मिका फिल्म के दूसरे भाग में सामने आती हैं। हालांकि उनका किरदार उतना परतदार नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया है। शेखर कम्मुला की अन्य फिल्मों के मुकाबले यह फीमेल कैरेक्टर थोड़ा कमज़ोर महसूस होता है।

जिम सर्भ – खतरनाक और करिश्माई

जिम सर्भ ने लालची कॉरपोरेट बिजनेसमैन के रोल में जान डाल दी है। उनके डायलॉग्स और प्रेजेंस में जो ठहराव है, वह उनकी सधी हुई परफॉर्मेंस का हिस्सा है।

तकनीकी पक्ष

  • निर्देशन: शेखर कम्मुला का निर्देशन संयमित और संतुलित है। उन्होंने सीमित लोकेशन्स और सीमित पात्रों में एक गहरी कहानी को प्रभावी ढंग से दिखाया है।

  • सिनेमैटोग्राफी: निकेत बोम्मिरेड्डी का कैमरा वर्क उम्दा है – खासकर अंधेरे और कॉरपोरेट दृश्यों में।

  • संगीत: देवी श्री प्रसाद का संगीत कहानी को बढ़िया तरीके से सपोर्ट करता है, लेकिन कोई बड़ा चार्टबस्टर गाना नहीं है।

  • एडिटिंग: कार्तिका श्रीनिवास की एडिटिंग टाइट और इन्वॉल्विंग है – फिल्म कहीं भी खिंचती नहीं है।

फिल्म की थीम

  • गरीबी और अमीरी की खाई

  • सत्ता और नैतिकता का टकराव

  • नैतिक पतन और आत्म-प्रायश्चित

यह फिल्म दिखाती है कि जब नीचे से कोई उठता है, तो सबसे बड़ी व्यवस्था भी हिल सकती है।

निष्कर्ष

 रेटिंग: 4/5

“Kuberaa” एक ताकतवर फिल्म है जिसमें अभिनय, निर्देशन और कहानी – सब कुछ मिलकर एक इम्पैक्टफुल सिनेमा बनाते हैं। धनुष और नागार्जुन की यह जोड़ी लंबे समय तक याद रहेगी।

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