Afghanistan Earthquake 2025: 622 Dead, 3 Villages Flattened | देखें दिल दहला देने वाली तस्वीरें

1 सितंबर 2025 को पूर्वी Afghanistan के नंगरहार और कुनर प्रांतों में एक विनाशकारी भूकंप ने कहर बरपा दिया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, यह भूकंप 6.3 तीव्रता का था और इसका केंद्र जालालाबाद शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर, महज 10 किलोमीटर की गहराई पर था। इस भीषण आपदा में अब तक 622 लोगों की मौत और 1,500 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि कई लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं।

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तीन गांव पूरी तरह तबाह, हजारों प्रभावित

Afghanistan के कुनर प्रांत में नुरगल, चोकाय और वटापुर जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन इलाकों में तीन गांव पूरी तरह से मिट्टी में मिल गए हैं। अधिकांश घर मिट्टी और पत्थर से बने हुए थे, जो तेज झटकों को सह नहीं सके और पूरी तरह ध्वस्त हो गए। तालिबान सरकार के अनुसार, कुनर प्रांत में ही 610 लोगों की जान गई है, जबकि 1,300 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा नंगरहार प्रांत में 12 मौतें और 255 लोग घायल हुए हैं।

बचाव कार्य जारी, दुर्गम इलाके बनीं चुनौती

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शरीफत ज़मान ने बताया, “क्षेत्र दुर्गम है और बचाव कार्य में कठिनाई हो रही है। लेकिन हमारी टीमें मौके पर पहुंच रही हैं।” राहत एवं बचाव कार्य में हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है। घायलों को निकटवर्ती अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। राहत कर्मी, अफगान सेना और स्थानीय नागरिक मिलकर मलबा हटाने और जीवित लोगों को बचाने में जुटे हैं।

तालिबान सरकार ने दिए सख्त निर्देश

तालिबान सरकार ने सभी संबंधित विभागों को तुरंत राहत पहुँचाने के निर्देश दिए हैं। आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता मुफ्ती अब्दुल मतीन ने कहा, “स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रभावित इलाकों में तुरंत पहुंचें, राहत सामग्री वितरित करें और पूर्ण सहायता सुनिश्चित करें।” तालिबान सरकार के अनुसार, सुरक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और खाद्य आपूर्ति की टीमें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।

घरों की तबाही से बेघर हुए हजारों लोग

भूकंप के कारण हजारों मकान या तो पूरी तरह गिर गए या रहने लायक नहीं बचे। इससे हजारों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं। सर्द मौसम की शुरुआत के साथ यह स्थिति और भयावह हो सकती है। बहुत से लोग अब भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अगली रात कहाँ गुजारें।

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अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी की तत्परता

अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी (ARCS) ने अपने मेडिकल और राहत दल तुरंत प्रभावित इलाकों में भेज दिए हैं। उन्होंने कहा कि उनके डॉक्टर और स्वयंसेवक घायलों का इलाज कर रहे हैं और लोगों को अस्थायी शिविरों में शरण दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रभावित इलाकों में वित्तीय नुकसान भी अत्यधिक हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय मदद की कमी

इस आपदा के बाद अब तक किसी भी विदेशी सरकार की ओर से सहायता नहीं आई है। Afghanistan पहले से ही मानवीय संकट, खाद्य संकट और विदेशों से मिलने वाली सहायता में कटौती जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में इस प्राकृतिक आपदा ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट

राज्य-प्रेरित प्रसारक रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान (RTA) के अनुसार, प्रारंभ में मौत का आंकड़ा 250 बताया गया था, जो कुछ ही घंटों में 500 तक पहुंच गया। लेकिन जैसे-जैसे मलबा हटाने का कार्य बढ़ा, संख्या 622 तक पहुंच गई। आंकड़ों में और वृद्धि की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि कई गांवों तक अभी राहत टीमें नहीं पहुंच पाई हैं।

भूकंप क्यों इतना विनाशकारी साबित हुआ?

विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप की गहराई बहुत कम (10 किमी) होने के कारण यह अधिक तीव्र और विनाशकारी साबित हुआ। साथ ही, इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना, कमजोर निर्माण ढांचा और आपदा से निपटने की तैयारी का अभाव इस तबाही का प्रमुख कारण रहा। इसके अलावा, भूकंप के बाद आई 4.7 तीव्रता की आफ्टरशॉक ने राहत कार्य को और कठिन बना दिया।

स्थानीय निवासियों की आपबीती

घटना के चश्मदीदों ने बताया कि रात के समय जब अधिकतर लोग सो रहे थे, तभी जोरदार झटके महसूस हुए। “हम भाग भी नहीं पाए, घर अचानक गिर पड़ा। मेरी पत्नी और दो बच्चे मलबे में दब गए,” एक पीड़ित ने रोते हुए बताया।

Afghanistan पहले से ही भूख, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी से जूझ रहा है। अब यह प्राकृतिक आपदा उसकी मानवता और धैर्य की परीक्षा ले रही है। तालिबान प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह बिना बाहरी सहायता के राहत कार्य को कैसे प्रभावी ढंग से अंजाम देगा।

निष्कर्ष

Afghanistan में आया यह भूकंप सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है। इसने हजारों परिवारों को उजाड़ दिया है, सैकड़ों मासूम जिंदगियों को छीन लिया है और देश की पहले से ही जर्जर स्वास्थ्य एवं राहत प्रणाली को पंगु बना दिया है। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि वह अफगान जनता के इस कठिन समय में साथ खड़ा हो।

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