
“Hum Kaale Hai Yo, Dilli Wale Hai Yo” यह टैगलाइन जितनी चुटीली लगती है, उतनी ही गहराई से Dilli Dark की आत्मा को दर्शाती है। निर्देशक दिबाकर दास रॉय की पहली फिल्म Dilli Dark एक साहसी और विचलित कर देने वाली डार्क कॉमेडी है जो दिल्ली जैसे महानगर की चमक-धमक के पीछे छिपे भेदभाव, नस्लवाद और पहचान के संकट को उजागर करती है।
कहानी की बुनियाद: पराया शहर, पराया चेहरा
फिल्म की कहानी घूमती है माइकल ओकेके (अद्भुत रूप से निभाया गया है सैमुअल अबियोला रॉबिन्सन द्वारा) के इर्द-गिर्द, जो एक नाइजीरियाई MBA स्टूडेंट है और दिल्ली में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यह राह आसान नहीं है – न रंग के कारण, न भाषा के कारण, और न ही संस्कृति के अंतर के कारण। माइकल को न सिर्फ कॉलेज में, बल्कि अपने रोजमर्रा के जीवन में भी तरह-तरह की अजीब और तकलीफ देने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
फिल्म का एक बेहद मार्मिक दृश्य तब आता है जब माइकल से पूछा जाता है कि वह फेयरनेस क्रीम क्यों खरीद रहा है, या जब उसे मानव मांस खाने वाला बता दिया जाता है। ये क्षण न केवल आपको हँसाते हैं, बल्कि अंदर तक झकझोरते हैं।
दिल्ली: एक जीवंत, विडंबनाओं से भरा किरदार
Dilli Dark में दिल्ली सिर्फ एक पृष्ठभूमि नहीं है – यह खुद में एक किरदार है: कभी रंगीन, कभी बदतमीज, कभी अपनाने वाला, तो कभी बाहरी को दूर धकेलने वाला। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी दिल्ली की सड़कों, मोहल्लों और उसकी ऊर्जा को इतने जीवंत तरीके से पकड़ती है कि दर्शक खुद को वहां मौजूद महसूस करता है। संवाद स्थानीय रंग और दिल्ली की सड़क की जुबान से भरे हैं। खास तौर पर फिल्म का रैप सॉन्ग “Hum Kaale Hain, Dilli Wale Hain” एक ऐसी सांस्कृतिक टिप्पणी है जो दर्शक को गुदगुदाते हुए सोचने पर मजबूर कर देती है।
अभिनय और किरदार: प्रदर्शन में दम है
फिल्म की जान है सैमुअल अबियोला रॉबिन्सन का अभिनय – वह माइकल की चुप पीड़ा, असहजता और अपनेपन की तलाश को बहुत संयमित लेकिन असरदार ढंग से निभाते हैं। उनके चेहरे पर हर भाव साफ दिखाई देता है – डर, गुस्सा, संदेह और थोड़ा-थोड़ा उम्मीद भी।
शांतनु अनम, जो माइकल के sarcastic दोस्त देबू की भूमिका में हैं, कॉमिक टाइमिंग के मास्टर हैं। वहीं, गीतिका विद्याअ ओहल्यन द्वारा निभाई गई मानसी ‘मां’, एक नकली अध्यात्मिक गुरु, दिल्ली की बाबागिरी पर तीखा कटाक्ष है। हालांकि उनके किरदार का सबप्लॉट फिल्म के मुख्य मुद्दे से थोड़ा भटकता है, लेकिन उनका अभिनय ऊर्जा से भरपूर है।
कमजोरियाँ: महत्वाकांक्षा की भारी कीमत
Dilli Dark की सबसे बड़ी ताकत उसकी सच्चाई और बेबाक व्यंग्य है – लेकिन यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी बन जाती है। फिल्म का दूसरा हिस्सा थोड़ा खिंचता है, और विषयों की अधिकता के कारण फिल्म थोड़ी भटकी हुई लगती है। खास तौर पर जब फिल्म satire से दर्शन और आत्म-विश्लेषण की ओर बढ़ती है, तब उसका प्रवाह थोड़ा असंतुलित हो जाता है।
अंत में निर्देशक रज़िया सुल्तान और जमाल-उद-दीन याक़ूत की ऐतिहासिक कथा को आधुनिक संदर्भ में जोड़ने की कोशिश करते हैं। विचार तो सराहनीय है, लेकिन उसका निष्पादन थोड़ी जल्दबाज़ी में किया गया प्रतीत होता है।
‘Dilli Dark’ is about outsiders in the city. It’s the first Hindi film with an African lead
Tina Das @dastina2191 reports #ThePrintAroundTownhttps://t.co/Zo784tsXtp
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) May 30, 2025
निष्कर्ष: देखने लायक है Dilli Dark
Dilli Dark कोई परफेक्ट फिल्म नहीं है – लेकिन यह एक ज़रूरी फिल्म है। यह उस भारत की कहानी है जो दिखाना चाहता है कि वह वैश्विक है, लेकिन आज भी रंग और पहचान के आधार पर लोगों को परखता है। यह फिल्म न सिर्फ हँसाती है, बल्कि हमें आईना दिखाती है – और यही इसकी सबसे बड़ी सफलता है।
यदि आप ऐसी फिल्में पसंद करते हैं जो सामाजिक मुद्दों को हास्य और कटाक्ष के साथ पेश करती हैं, तो Dilli Dark को ज़रूर देखिए। यह एक डेब्यू डायरेक्टर की साहसी कोशिश है, जो imperfections के बावजूद एक यूनिक और ज़रूरी आवाज़ बनकर सामने आती है।
रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)
शैली: डार्क कॉमेडी / सोशल सटायर
निर्देशक: दिबाकर दास रॉय
अभिनेता: सैमुअल अबियोला रॉबिन्सन, गीतिका विद्याअ ओहल्यन, शांतनु अनम