
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पुष्टि की कि वह इस महीने कनाडा के कनानास्किस में आयोजित होने जा रहे G7 शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लेंगे। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत और कनाडा के संबंध पिछले कुछ वर्षों से काफी तनावपूर्ण रहे हैं। भारत को यह आमंत्रण कनाडा के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा दिया गया, जिन्होंने हाल ही में जस्टिन ट्रूडो को चुनाव में हराकर सत्ता संभाली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा:
“कनाडा के प्रधानमंत्री @MarkJCarney से बात करके खुशी हुई। उन्हें उनकी हालिया चुनावी जीत पर बधाई दी और इस महीने के अंत में कनानास्किस में आयोजित होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया।”
Glad to receive a call from Prime Minister @MarkJCarney of Canada. Congratulated him on his recent election victory and thanked him for the invitation to the G7 Summit in Kananaskis later this month. As vibrant democracies bound by deep people-to-people ties, India and Canada…
— Narendra Modi (@narendramodi) June 6, 2025
भारत-कनाडा संबंधों में नरमी के संकेत
यह पहली बार नहीं है जब भारत को G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया हो। हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है, लेकिन 2019 से लगातार भारत को इस वैश्विक मंच पर अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है। लेकिन इस बार का आमंत्रण खास है क्योंकि पिछले साल हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के संबंध अभूतपूर्व तनाव में चले गए थे।
कनाडा ने भारत पर एक कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी कार्यकर्ता की हत्या में संलिप्त होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और उच्चस्तरीय वार्ताएं रुक गईं।
लेकिन अब कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में चीजें बदलती नजर आ रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी और कार्नी के बीच हुई फोन वार्ता और G7 के आमंत्रण को इस रिश्ते में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
G7 शिखर सम्मेलन 2025: मुख्य बिंदु
G7, यानी ग्रुप ऑफ सेवन, दुनिया की सात सबसे विकसित और औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं — कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका — का एक अनौपचारिक समूह है। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ भी इस समूह की बैठकों में शामिल होता है। इस साल का शिखर सम्मेलन कनाडा के कनानास्किस में 15 से 17 जून को आयोजित होगा।
यह स्थान 2002 में भी G7 की मेजबानी कर चुका है और इस बार सम्मेलन G7 के 50वें वर्ष के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।
इस वर्ष के एजेंडा में क्या है?
प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में आयोजित इस सम्मेलन में वैश्विक शांति, आर्थिक लचीलापन, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया की स्थिति और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लेकर भी गंभीर विमर्श होने की संभावना है।
इस बार G7 शिखर सम्मेलन में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और यूक्रेन को भी अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित किया गया है।
भारत की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है, G7 मंच पर वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को प्रमुखता देता है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवाचार और विकासशील देशों के हितों की सुरक्षा पर G7 देशों का ध्यान केंद्रित करने में सहायक मानी जाती है।
भारत की भागीदारी G7 देशों के साथ रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक संवाद को गहरा करती है। खासकर ऐसे समय में जब विश्व बहुध्रुवीय हो रहा है और वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव आ रहा है।
निष्कर्ष: एक नई शुरुआत?
प्रधानमंत्री मोदी का G7 में जाना केवल एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में भाग लेना नहीं है, बल्कि यह भारत-कनाडा संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में एक अहम राजनीतिक संकेत भी है।
जहां एक ओर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक अविश्वास अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, वहीं इस आमंत्रण को एक नई शुरुआत की उम्मीद के रूप में देखा जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Kananaskis में दोनों नेताओं की मुलाकात किस दिशा में जाती है और क्या यह भारत-कनाडा रिश्तों में वास्तविक बदलाव की नींव रख सकेगी।
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