ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट से विवाद: कानून छात्रा Sharmishta की गिरफ्तारी पर देशभर में हंगामा

कॉलकाता पुलिस द्वारा पुणे की चौथे वर्ष की कानून छात्रा Sharmishta पनौली की गिरफ्तारी ने देशभर में सवाल खड़े कर दिए हैं। Sharmishta, जो कि सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे की छात्रा हैं, को उनके एक पुराने इंस्टाग्राम वीडियो को लेकर गिरफ्तार किया गया है। इस वीडियो में उन्होंने पाकिस्तान के एक ट्रोल को जवाब देते हुए कथित रूप से इस्लाम और उसके संस्थापक के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। हालांकि, उन्होंने यह वीडियो डिलीट कर दिया था और सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी भी मांगी थी।

Sharmishta
Sharmishta Panoli (X)

 

Sharmishta के खिलाफ कार्रवाई: अभिव्यक्ति की आज़ादी पर संकट

Sharmishta की गिरफ्तारी को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या यह कदम सोशल मीडिया पर उभरे दबाव के चलते उठाया गया? क्या भारत में अब ऐसे मामलों में कानून का इस्तेमाल चुनिंदा तरीके से किया जा रहा है? उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनमें 196(1)(a), 299, 352, और 353(1)(c) शामिल हैं। यह धाराएं धार्मिक भावनाएं भड़काने, शांति भंग करने की नीयत से की गई बयानबाज़ी और समाज में द्वेष फैलाने से जुड़ी हैं।

ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तानी ट्रोलिंग

यह विवाद 14 मई 2025 को तब शुरू हुआ जब एक पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का मज़ाक उड़ाया। यह ऑपरेशन भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले का हिस्सा था, जो कि पहलगाम हमले के जवाब में किया गया था। Sharmishta ने इस ट्रोल को जवाब देते हुए एक वीडियो पोस्ट किया, जो बाद में वायरल हो गया और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाकर रिपोर्ट दर्ज की गई।

Sharmishta की माफी और सोशल मीडिया पर उत्पीड़न

वीडियो के वायरल होने के बाद, Sharmishta ने बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मैं अपनी कही बातों के लिए बिना शर्त माफी मांगती हूं। मेरा किसी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।” इसके बावजूद, AIMIM नेता वारिस पठान सहित कई मुस्लिम संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की। साथ ही, Sharmishta को बलात्कार और हत्या की धमकियां भी मिलने लगीं।

गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल

कई लोगों ने शिकायत की है कि Sharmishta की गिरफ्तारी न केवल अचानक थी, बल्कि कानूनी प्रक्रिया का भी उल्लंघन करती है। सोशल मीडिया कार्यकर्ता सुनैना होले के अनुसार, पुलिस के पास उचित दस्तावेज़ नहीं थे और बिना अग्रिम सूचना के गुरुग्राम से गिरफ्तारी की गई। हालांकि पुलिस का दावा है कि परिवार का पता नहीं लगने पर कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट लिया गया था।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और दोहरे मापदंड

आरएसएस विचारक रतन शारदा ने इसे नूपुर शर्मा मामले से जोड़ा और लिखा, “एक और सच्चाई की शिकार?” यह तुलना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नूपुर शर्मा को भी ऐसी ही टिप्पणियों पर भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्हें राजनीतिक और कानूनी समर्थन प्राप्त था। वहीं, Sharmishta एक आम छात्रा हैं, जिनके पास सीमित संसाधन हैं।

निष्कर्ष: 

Sharmishta की गिरफ्तारी केवल एक छात्रा का मुद्दा नहीं है, यह भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक असहिष्णुता और कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता जैसे बड़े सवालों को उठाती है। क्या सरकारें अब सोशल मीडिया की भीड़ के दबाव में निर्णय ले रही हैं? क्या यह मामला भारत में बोलने की आज़ादी को कुचलने की एक मिसाल बन रहा है? Sharmishta इस समय कोलकाता में पेशी का सामना कर रही हैं और उनकी कानूनी टीम इस गिरफ्तारी को चुनौती देने की तैयारी कर रही है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालतें इस मामले में कानून के दायरे में निष्पक्षता सुनिश्चित करती हैं या नहीं।

डिस्क्लेमर:
इस लेख में प्रस्तुत जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों, सोशल मीडिया पोस्ट्स और उपलब्ध सार्वजनिक विवरणों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी समुदाय, धर्म, संस्था या व्यक्ति की भावनाओं को आहत करना नहीं है। यह लेख केवल सूचनात्मक और विचार विमर्श के उद्देश्य से लिखा गया है। सभी पक्षों की कानूनी प्रक्रिया के प्रति सम्मान रखते हुए, हम न्यायालय के अंतिम निर्णय का सम्मान करेंगे। अगर किसी तथ्य में कोई त्रुटि हो या किसी को आपत्ति हो, तो कृपया हमें सूचित करें ताकि आवश्यक सुधार किया जा सके।

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