Stolen फिल्म रिव्यू: राजस्थान रेलवे स्टेशन से उठे एक मासूम की खोज की सच्ची कहानी

भारतीय सिनेमा में थ्रिलर और ड्रामा का एक नया आयाम लेकर आई है फिल्म “Stolen”। यह फिल्म न केवल अपनी सधी हुई कहानी, तेज़ रफ्तार और भावुकता के लिए चर्चा में है, बल्कि यह हमारे समाज की कुछ गहरी और जटिल समस्याओं को उजागर करती है।

Stolen
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Stolen की कहानी राजस्थान के एक छोटे से रेलवे स्टेशन से शुरू होती है, जहाँ एक गरीब महिला झुम्पा (मिया मालेज़र) की पांच महीने की बच्ची किडनैप हो जाती है। इसी बीच दो भाई गौतम (अभिषेक बनर्जी) और रमन (शुभम वर्धन) अनजाने में इस मामले में उलझ जाते हैं। यह फिल्म सिर्फ एक किडनैपिंग थ्रिलर नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक टिप्पणी भी है, जो दर्शाती है कि कैसे गरीबी, जातिवाद, और प्रशासन की अक्षमता आम लोगों की जिंदगी को प्रभावित करती है।

फिल्म की कहानी: एक रात जो सब कुछ बदल देती है

फिल्म की शुरुआत होती है गौतम के रेलवे स्टेशन पर अपने छोटे भाई रमन को लेने के साथ। दोनों के लिए यह एक सामान्य दिन होना चाहिए था क्योंकि उनकी माँ की शादी अगले दिन होनी है। लेकिन झुम्पा की बेटी का अपहरण इस कहानी में तूफान ला देता है। रमन पर शक होता है, पुलिस दोनों भाइयों से पूछताछ करती है और धीरे-धीरे वे दोनों इस रहस्यमयी किडनैपिंग केस में फंस जाते हैं। फिल्म में जो सबसे खास बात है, वह यह है कि इसे कहीं भी फिल्माया गया सीन नाटकीय से भरपूर नहीं लगता। निर्देशक करण तेजपाल ने पूरे मामले को बेहद रियलिस्टिक अंदाज़ में पेश किया है।

अभिनय की ताकत

अभिषेक बनर्जी ने गौतम के किरदार में बेहतरीन काम किया है। उनकी भूमिका में हमें एक ऐसा इंसान दिखाया गया है जो सामान्यतः अपने फायदे की सोचता है, लेकिन परिस्थिति की नाजुकता समझते हुए धीरे-धीरे बदलता है। वहीं शुभम वर्धन के रूप में रमन की ठंडक और संवेदनशीलता गौतम से अलग लेकिन पूरे मामले में सहायक है।

सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं मिया मालेज़र की भूमिका, जो झुम्पा के रूप में एक माँ के दर्द, निराशा और उम्मीद को इतनी गहराई से दर्शाती हैं कि वह कहीं भी ओवरएक्टिंग नहीं करतीं। उनका हर दृश्य दिल को छू जाता है।

सामाजिक सच्चाई की तस्वीर

Stolen फिल्म में गरीबी और अमीरी के बीच की खाई साफ नजर आती है। कैसे एक गरीब माँ के बच्चे की सुरक्षा तक को खतरा होता है और कैसे भ्रष्ट व्यवस्था में गरीबों के लिए न्याय पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह फिल्म दर्शाती है कि किडनैपिंग सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के गहरे फटने की निशानी है।

Stolen फिल्म में पुलिस की उदासीनता, स्थानीय भीड़ की हिंसक प्रवृत्ति, और मीडिया की भूमिका को भी अच्छी तरह से दिखाया गया है। यह सब कुछ दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे समाज में इन समस्याओं का क्या हल है।

तकनीकी और निर्देशन पक्ष

निर्देशक करण तेजपाल ने इस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत जबरदस्त तरीके से की है। फिल्म का निर्देशन बहुत ही सटीक, केंद्रित और बिना किसी फालतू दृश्य के है। फिल्म का सेटिंग राजस्थान का एक छोटा रेलवे स्टेशन है, जो कहानी को ज़मीन से जोड़ता है और हर किरदार को प्रामाणिक बनाता है।

कैमरे का काम (इशान घोष और सचिन एस. पिल्लई) बहुत ही प्राकृतिक और ‘गेरिला स्टाइल’ में है, जो फिल्म को एक डॉक्यूमेंट्री जैसा यथार्थवाद देता है। संगीत का इस्तेमाल बहुत कम है, जिससे कहानी की सच्चाई और भावनात्मक गहराई बढ़ती है।

फिल्म की कुछ कमियां

फिल्म की कहानी काफी सटीक है, लेकिन कुछ दृश्य, खासकर भीड़ द्वारा भाइयों का पीछा करना, थोड़ा दोहराव लगते हैं और उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है। तीसरे हिस्से में फिल्म थोड़ी भटकती भी नजर आती है, लेकिन ये कमजोरियां फिल्म के पूरे अनुभव को खराब नहीं करतीं।

क्यों देखें “Stolen”?

  • कहानी में सच्चाई: यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे एक छोटा सा हादसा समाज की बड़ी कमियों को उजागर कर सकता है।

  • बेहतरीन अभिनय: अभिषेक बनर्जी, शुभम वर्धन और मिया मालेज़र ने अपने किरदारों में जान डाल दी है।

  • तेज रफ्तार और संकुचित: 90 मिनट की यह फिल्म एक दम तेज़, नाटकीयता से मुक्त और बेहतरीन थ्रिलर है।

  • सामाजिक संदेश: फिल्म की कहानी में भारत के सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बड़े ही संवेदनशील ढंग से दिखाया गया है।

  • इंडिपेंडेंट सिनेमा का नमूना: इस फिल्म में आपको वह कच्चापन, असलीपन और संवेदनशीलता मिलेगी जो अक्सर बड़े बजट की फिल्मों में नहीं मिलती।

दर्शकों के लिए सुझाव

अगर आप ऐसी फिल्में पसंद करते हैं जो सामाजिक सच्चाइयों को बिना किसी नाटकीयता के पर्दे पर लाती हैं, तो “Stolen” आपके लिए एक ज़रूरी देखी जाने वाली फिल्म है। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। यह आपको भारतीय समाज की कुछ अनदेखी हकीकतों से रूबरू कराती है।

निष्कर्ष

“Stolen” एक प्रभावशाली इंडिपेंडेंट थ्रिलर है, जो दर्शकों को एक भावुक और सामाजिक रूप से जागरूक अनुभव देता है। अभिषेक बनर्जी की दमदार अदाकारी, मिया मालेज़र का हृदयस्पर्शी अभिनय और करण तेजपाल का सटीक निर्देशन इसे देखने लायक बनाते हैं। यह फिल्म आपके मन को झकझोर देगी और आपको भारतीय समाज की उन कड़वी सच्चाइयों से रूबरू कराएगी, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।

अगर आप ऐसी फिल्मों को पसंद करते हैं जो मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करें, तो “Stolen” आपके लिए एक परफेक्ट विकल्प है। इसे Amazon Prime Video पर देखें और एक अनोखी, तेज़ और संवेदनशील यात्रा पर निकलें।

रेटिंग: 4/5 स्टार

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